Gurudev ki vani



आँखें बन्द करके ध्यानाभ्यास करो अभी आपलोग नेत्र बन्द करने की बात सुन रहे थे । आँखें बन्द करने की बात मैं कहता हूँ - जब शमीक मुनि आँखें बन्द किए निश्चेष्ट होकर बैठे थे . उस समय राजा परीक्षित् थे , जो अर्जुन के पौत्र थे । वे कलियुग के राजा थे । शमीक मुनि की आँखें बन्द थीं । राजा परीक्षित को प्यास लगी थी । वे मुनि के पास गये । मुनि ध्यानमग्न थे । इसीलिए वे राजा का सत्कार नहीं कर सके । इससे राजा परीक्षित् को मुनि के प्रति क्रोध उत्पन्न हुआ । उन्होंने शमीक मुनि के गले में मरे हुए साँप को पहना दिया । मुनिजी के पुत्र को , जो बालकों के साथ खेल रहे थे , मालूम हुआ कि राजा परीक्षित् ने उनके पिता के गले में मरा हुआ सौंप लपेट दिया है । यह सुनते ही मुनि बालक ने शाप कर दिया कि आज से सातवे दिन राजा परीक्षित् को तक्षक दंशित करेगा । राजा परीक्षित् के सर्प यज्ञ करने के बावजूद तक्षक ने दशित कर ही लिया । इस प्रसंग से ज्ञात होता है कि आँखें बन्द करने की बात बहुत पुरानी है । ( शान्ति संदेश , मार्च अंक , 

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