पहले स्वयं को जानो


 पहले स्वयं को जानो स्वामी विवेकानंद के प्रवचनों से प्रभावित होकर किसी ने कहा- “ लगता है आपकी पहुँच ईश्वर तक है । आप मुझे उस तक पहुँचा दीजिए । उसके मिलने का स्थान बता दीजिए । " स्वामी जी ने कहा- " आप अपना पता मुझे लिखा जाइए । जब ईश्वर को फुरसत होगी , तब उसे आपके घर ही भेज दूंगा । " वह व्यक्ति अपने मकान का पता लिखाने लगा । स्वामी जी ने कहा- " यह तो ईंट - चूने से बने घरौंदे का पता है । आप स्वयं अपना पता बताइए कि आप कौन हैं , किस प्रयोजन के लिए नियत थे और क्या कर रहे हैं ? 

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