प्रेरक प्रसंग। (सत्य का सहारा)
१. एक चोर भागा , कबीर के घर में घुसा , बोला - मैं चोर हूँ , छिपने की जगह दे दो । कबीर ने कहा - रुई के ढेर में छिप जाओ । चोर छिप गया । सिपाही आए , बोले - कबीर , कबीर ! तूने चोर को देखा । कबीर ने कहा - हाँ , रूई के ढेर में छिपा है । चोर के प्राण सूख रहे थे । आज किस बाबा के चक्कर में पड़ गया । सिपाही ने सोचा , मजाक कर रहा है । ऐसा कैसे हो सकता है कि इसके सामने कोई रूई के ढेर में छिप जाए । वे चले गए । चोर निकल आया । बोला - आज तो मरवा ही डालते आप , वे तो चले गए भला । तब कबीर ने कहा - अरे , क्या मैं झूठ बोलता ? क्या सत्य में इतनी ताकत नहीं , जो तुम्हें बचा सके ? सत्य क्या मिट गया है । झूठ में ताकत नहीं । सत्य में ताकत है । मुझे विश्वास था , मेस सत्य तेरी रक्षा करेगा ।
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