संक्रमण काल
समय यह संक्रमण काल का
धैर्य का मनुहार का ,
भावनाओं के पहचान का ।
नहीं समय यह
कुमंत्रनाओ का
नहीं समय यह
विचारों के जंजाल का
है समय यह संक्रमण काल का ।
धैर्य का साहस और आत्मविशस का ।
मौन हो गई है सड़कें,
खामोश हो गयी है दरवाजे
तरस गई है आँखे
किसी की आहटों के लिए ।
काल ने करवट ली है
हमारी तुम्हारी परीक्षा की घड़ी है ।
है समय यह
भावनाओं का
संवेदनाओं का,
अपनी आत्माओं की जागॄति का
है यह शक्ति
जो फिर करेगा
इस प्रकाश में
हमरे पथ को आलोकित, प्रकाशित ।
आओ हम सब-
संवेदनाओं और भावनाओं के दलदल में
गोते लगाएँ ।
इस ज्योति के प्रतिक में अपनी आत्माओं को एक कर लें,
और प्राप्त कर लें शांत और भयमुकत जीवन ।
इस प्रकाश में-
काल को भी हारना होगा,
और फिर हमें मिलेगी अमन, चैन और शांति ।
सामान्य होगी हमारी जीवन व्यवस्था-
कुछ धैर्य तो धारण करो
कुछ साहस का परिचय तो दो,
अपने विचारों के भ्रमजाल से
निकल के देखो तो सही -
हमारे आत्मीय जनों को,
हमारी संवेदनाओं और भावनाओं की चाहत को।
आओ इस संक्रमण काल में,
हम मिलें, एक हो जाएँ ।
जीवन तो बहती धारा है -
सबों को एक जगह समा जाना है ।
फिर क्यों अंतर्द्वंद्व
निर्भय रहो ।
प्रकृति को हरियाली ही भाती है
नई किरणों की
आभा हम तक पहुँचाने वाली है ।
बस संयम मत खोना
है समय यह संक्रमण काल का ।
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