बरी जबर्दस्त चिज।


एक ऐसी चीज है , जो बड़ी जबर्दस्त है । वह क्या है ? वह है शीलता। यह ' जबर्दस्त शब्द फारसी भाषा का है । शीलता कहते है सचाई और नम्रतापूर्वक किए गये आचरण को । इसके लिए एक उदाहरण देता हूँ । कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरव और पाण्डव सेनाओं के साथ युद्ध के लिए आमने सामने तैयार थे । उसी समय युधिष्ठिर महाराज ने अपने अस्त्र शस्त्र पख दिए और पैदल ही भीष्म पितामह की ओर चल पड़े । किसी से कुछ नहीं कहा । उनको देखकर दुर्योधन पक्ष के लोग कहने लगे कि देखो , युधिष्ठिर डरकर भीम पितामह की शरण में आ रहे हैं । जब युधिष्ठिरजी भीष्म पितामाह के पास गये , तो भीष्म पितामह ने पूछा- " इस समय तुम यहाँ क्यों आये हो ? " युधिष्ठिरजी ने उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए कहा कि मैं आपसे आशीर्वाद लेने के लिए आया हूँ कि युद्ध में शत्रुओं को परास्त कर सकूँ । इसपर भीष्मजी बहुत खुश हुए और उनको आशीर्वाद दिया कि तुम अवश्य युद्ध में शत्रुओं को परास्त करोगे । यह युधि ष्ठिरजी की शीलता थी । भीष्म ने कहा कि यदि तुम इस समय मेरे पास नहीं आते , तो मैं अवश्य ही तुम्हारी हार की कामना करता । इसी तरह से युधिष्टिरजी ने बारी - बारी से द्रोणाचार्य , कृपाचार्य और मामा शल्य को प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त किया । यह है  शीलता की बात ।यह देखकर  सबने  कहा यह बहुत बुद्धि मान है । जो रामायण पढ़ते हैं, महाभारत पढ़ते हैं वे इस शीलता  की बात जानते हैं ।                                  

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