प्रेरक प्रसंग 2
गेटे जर्मनी का एक बहुत बड़ा नाटककार हुआ है । वह अपने कार्य में इतना रम गया कि अपने आप को इस विश्व का एक पात्र ही अनुभव करने लगा था । मरते समय उसके चेहरे पर बच्चों जैसी मुस्कराहट थी । अंतिम साँस छोड़ते हुए उसने जोर से ताली बजाई और उपस्थित लोगों को उँगली के इशारे से बताया- " लो अब परदा गिरता है और एक बढ़िया नाटक का अंत होता है । " वस्तुत : जीवन ऐसा ही जीना चाहिए , जैसे नाटक का एक कलाकार जीता है । इसी को आध्यात्मिक संदर्भ में संत , भगवान की कठपुतली बनकर जीने के रूप में समझाते हैं ।
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